गहलोत ने दी 130 करोड़ से ज्यादा की राहत

 मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश की जनता पर कोई भी नया कर नहीं लगाया है, बल्कि उन्होंने 130 करोड़ रुपयों से भी ज्यादा की राहत दी है। गहलोत ने विधानसभा में वित्तीय वर्ष का बजट पेश किया गया। बजट में कर प्रस्ताव भी शामिल है। उन्होंने पंजीयन एवं मुद्राक संबंधी मामलों में भी जनता को राहत दी है। वाणिज्यिक कर विभाग के लिए भी कई तरह के कदम उठाए हैं। उपनिवेशन क्षेत्रों के सभी श्रेणी के आवंटियों को भी राहत दी है। नगरीय विकास,आवासन और राजस्व विभाग तथा परिवहन विभाग के मामलों में भी बड़ी छूट दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उपनगरीय मार्गों के सभी 3 दूरी आधारित श्रेणियों में वाहन कर की दर में 50 रुपए प्रति सीट प्रति माह की कमी की जाएगी। इसके साथ ही कॉन्ट्रेक्ट कैरिज बसों की बैठक क्षमता आधारित दो श्रेणियों में मोटर वाहन कर की दर में सौ रुपए प्रति सीट प्रति माह की कमी की जाएगी। दो नगरपालिकाओं के बीच जिसकी दूरी दस किलोमीटर से ज्यादा नहीं है, लेकिन संचालित वाहनों के मोटर वाहन कर की दर में 100 रुपए प्रति सीट प्रति माह तक सीमित रखा जाएगा। औद्योगिक प्रतिष्ठानों के साथ संविदा यान के रूप में संचालित बैठक क्षमता 23 से 32 तक के वाहनों पर आरोपित मोटर वाहन कर को 14 हजार रुपए से घटाकर 10 हजार रुपए  किया जाएगा।


प्रदेश में राज्य खनिज अन्वेषण न्यास का होगा गठन
उन्होंने कहा कि कस्ट्रक्शन इक्वीपमेंट व्हीकल एवं व्हीकल फिटेड विथ इक्वीपमेंट पर देय एक बारीय कर में समानीकरण करते हुए कर की दर को चैसिस के रूप में क्रय करने पर साढे आठ प्रतिशत के स्थान पर दस प्रतिशत और पूर्णतया निर्मित बॉडी के रूप में क्रय करने पर सात प्रतिशत के स्थान पर आठ फीसदी किया जाना प्रस्तावित है। निजी क्षेत्र में पंजीकृत वाहनों के व्यावसायिक उपयोग किए जाने पर समान प्रकार के व्यावसायिक वाहन पर देय एक बारीय कर की राशि को दस प्रतिशत से बढाÞकर पच्चीस फीसदी किया जाना प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में राज्य खनिज अन्वेषण न्यास का गठन किया जाएगा। उत्खनिज खनिज एवं रॉयल्टी की गणना के लिए आईटी और ड्रोन आदि आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। 


कोर्ट फीस की अधिकतम सीमा 25 हजार किया जाना प्रस्तावित
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजकल मानहानि के मामले बढ़ते जा रहे हैं। वर्तमान में ऐसे मामलों में दावे की रकम के आधार पर कोर्ट फीस लगती है, जो बहुत ज्यादा होती है। इससे कई लोग दावा ही नहीं कर पाते हैं। अत: मानहानि के मामलों में लोगों को राहत पहुंचाने के लिए कोर्ट फीस की अधिकतम सीमा को 25 हजार रुपए किया जाना प्रस्तावित है।